शिमला-19 दिसंबर. प्रदेश में पीडब्ल्यूडी ठेेकेदारों का भुगतान करीब एक महीना गुजर जाने के बाद भी नहीं हो पाया है। ठेकेदारों के तमाम बिल ट्रेजरी में फंस गए हैं और भुगतान की रकम लगातार बढ़ती जा रही है। पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों के भुगतान का मुद्दा शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में भी सुनाई दिया है। गौरतलब है कि ट्रेजरी से बिल के हिसाब से ठेकेदारों को भुगतान किया जाता है। पीडब्ल्यूडी प्रमुख अभियंता लेटर आफ क्रेडिट (एलओसी) जारी करते हैं और इस एलओसी के आधार पर ठेकेदारों को ट्रेजरी से भुगतान किया जाता है। 21 नवंबर से पहले तक यह भुगतान तीन से चार दिन के अंतराल में हो रहा था, लेकिन बाद में भुगतान को रोक दिया गया। सबसे ज्यादा नाबार्ड के बिल ट्रेजरी में फंसे हैं। नाबार्ड में ऋण के माध्यम से प्रोजेक्ट पूरे होते हैं और ठेकेदार काम पूरा करने के बाद पीडब्ल्यूडी के पास बिल भेजते हैं जिसकी बारीकी से जांच के बाद विभाग इसे भुगतान के लिए ट्रेजरी को भेज देता है। लेकिन इस बार यह सभी बिल फंस रहे हैं। बीते एक महीने के दौरान एक हजार करोड़ रुपए का भुगतान फंसे होने की संभावना जताई जा रही है।
ठेकेदारों को भुगतान न होने की वजह से पीडब्ल्यूडी को नए प्रोजेक्ट का काम पूरा करवाने में भी मुश्किलें पेश आ रही हैं। आगामी दिनों में पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार काम रोकने का फैसला कर सकते हैं, जबकि दूसरी ओर ठेकेदार भी बैंक क्रप्ट होने की कगार पर पहुंच गए हैं। बैंक के ऋण की किस्त न चुका पाने की वजह से कई बड़े ठेकेदार भी इस स्थिति में पाई-पाई के मोहताज हो रहे हैं।
पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि आपदा की वजह से ठेकेदारों को भुगतान में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही भुगतान का प्रबंध करेगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष को इसमें घोटाला नजर आ रहा है लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है। भाजपा के समय भी ऐसे बहुत से काम पूरे किए गए थे, जिनके टेंडर तक नहीं लगे थे। उधर, इस पूरे प्रकरण में पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता एनपी सिंह ने विभाग की तरफ से कोई देरी न होने की बात कही है। विभाग के पास जो भी बिल आ रहे हैं उन्हें ट्रेजरी को भेजा जा रहा है।