शिमला-03 अक्टूबर. हिमाचल प्रदेश से बुधवार को दक्षिण पश्चिम मानसून विदा हो गया है। 27 जून से 2 अक्तूबर तक प्रदेश में सामान्य से 18 फीसदी कम बादल बरसे हैं। इस बार पिछले 124 सालों में 97वीं सबसे अधिक बारिश भी रिकॉर्ड हुई। उधर, इस साल प्रदेश में मानसून सीजन के दाैरान 600.9 मिलीमीटर बारिश हुई, जो कि पिछले 124 सालों में 97वीं सबसे अधिक बारिश है। हालांकि, 1901 से 2024 तक की अवधि के लिए सबसे अधिक बारिश (1314.6 मिलीमीटर) वर्ष 1922 में दर्ज की गई थी। मानसून सीजन में सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश हुई। जून, जुलाई और अगस्त में सामान्य से कम बादल बरसे। धर्मशाला और पालमपुर में 6 जुलाई, पालमपुर में 1 अगस्त और धौलाकुआं में 26 सितंबर को भारी बारिश हुई।
बता दें कि प्रदेश में मानसून ने इस बार भी कहर बरपाया और जगह-जगह तबाही नज़र आईं। बादल फटने, बाढ़ आने व भूस्खलन की 100 से ज्यादा घटनाओं ने कई लोगों को काल के आगोश में समा दिया। मानसून सीजन में 203 घर, 67 दुकानें और 537 पशुशालाएँ पूर्ण रूप से ध्वस्त हुईं। 574 घरों को आंशिक तौर पर नुकसान हुआ। वर्षा से जुड़े हादसों में 342 लोगों की जान गई। इनमें सड़क हादसों में 150 लोग मारे गए। बादल फटने, बाढ़ व भूस्खलन की 101 घटनाओं में 37 लोगों की मौत हुई और 33 अभी तक लापता हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून से राज्य में 1360 करोड़ का नुकसान पहुंचा है। लोकनिर्माण विभाग को सबसे ज्यादा 633 करोड़ का नुकसान हुआ। जलशक्ति विभाग को 540 करोड़ का नुकसान आंका गया है। 31 जुलाई की रात्रि श्रीखण्ड की पहाड़ी पर बादल फटने के बाद आई बाढ़ ने शिमला, मंडी और कुल्लू जिले में तबाही मचाई।