शिमला-20 नवंबर. हिमाचल हाईकोर्ट ने आज मुख्य संसदीय सचिव( CPS) नियुक्ति से संबंधित मामले में दायर एक और याचिका पर फैसला दिया है। प्रदेश हाईकोर्ट ने सीपीएस नियुक्ति के लिए हिमाचल सरकार के बनाए एक्ट को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने यह फैसला पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की याचिका पर सुनाया है।
प्रदेश हाईकोर्ट ने सीपीएस मामले में तीसरी याचिका पर भी फैसला सुना दिया है। पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने सीपीएस की नियुक्ति के लिए बनाए गए एक्ट को असंवैधानिक बताया और इसको रद्द कर दिया है।
एडवोकेट रजनीश मनिकटाला ने बताया कि पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने साल 2016 में पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल में सीपीएस एक्ट और इसके तहत हुई नियुक्तियों को चुनौती दी थी। संस्था की दलील थी कि सीपीएस की नियुक्तियां और इनकी नियुक्ति करने के लिए बनाया गया एक्ट असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि इस पर आज हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है और सीपीएस एक्ट को असंवैधानिक बताते हुए इसे निरस्त कर दिया है।
बता दें कि भाजपा के सत्तपाल सत्ती व अन्य विधायकों और एक अन्य याचिकाकर्ता ने मौजूदा सरकार के समय में सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती दी थी, जिनकी याचिका पर बीते 13 नवंबर को हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए सीपीएस की नियुक्तियों को असवैंधानिक बताकर इनको रद्द कर दिया था। वहीं पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था की याचिका पर आज फैसला आया है। इस तरह कोर्ट ने अब उस एक्ट को रद्द कर दिया है जिसके तहत सीपीएस की नियुक्तियां की जा रही थीं।