शिमला-01 दिसंबर. HPU शिमला के UIILS में लोक प्रशासन विषय के सहायक प्रोफ़ेसर जिसे 9 अप्रैल 2021 को सहायक प्रोफेसर (लोक प्रशासन) के पद पर नियुक्ति दी गई थी उसकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है। दरअसल उक्त असिस्टेंट प्रोफ़ेसर ने सहकारिता विभाग में इंस्पेक्टर के रूप में कार्य करते हुए EWS का प्रमाण पत्र बनवाया था तथा फर्जी EWS सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी ली थी जिसे रजिया सुल्तान नामक अभ्यर्थी ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी कि जिस सहायक प्रोफ़ेसर की नियुक्ति हुई है उसने फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल की है। जिसके बाद लगभग 4 साल ये मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन रहने के बाद हाई कोर्ट ने भर्ती अवैध करकर देकर रद्द कर दी थी जिसे बाद में सहायक प्रोफ़ेसर सुनील कुमार (लोक प्रशासन विभाग) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है तथा हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
बता दें कि इससे पहले भी HPU में प्रोफ़ेसर भर्ती के कई मामले लंबित है तथा हाल ही मैं मैथ के दो असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की नियुक्ति भी उच्च न्यायालय ने रद्द कर दी थी हालांकि वो असिस्टेंट प्रोफ़ेसर अपील में गए हैं।
बता दें कि 2019 के बाद पूर्व कुलपति सिकंदर कुमार के समय में ये भर्तियां हुई थी जिनपर खूब हल्ला हुआ था और आरोप लगे थे कि लगभग भर्तियां अवैध रूप से नियमों को ताक पर रखकर हुई हैं। जिसे लेकर छात्र संगठन SFI ने मोर्चा खोलते हुए RTI इन भर्तियों पर लगाई थी और दावा किया था कि 80 प्रतिशत प्रोफ़ेसर जो भर्ती हुए हैं वह अवैध दस्तावेजों तथा अन्य गड़बड़ियों के तहत अयोग्य भर्ती हुए हैं। इसी सिलसिले में बहुत से अभ्यर्थीयों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और याचिकाएं दायर की थीं।