शिमला-17 मार्च. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश करेंगे। राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए बजट में बड़े लोकलुभावन ऐलान की संभावना कम है लेकिन ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सामाजिक सुरक्षा और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों पर सरकार का विशेष ध्यान रहेगा। यह बजट पंचायती राज संस्थाओं के चुनावी वर्ष में प्रस्तुत किया जाएगा, इसलिए स्वाभाविक रूप से बजट पंचायतों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर केंद्रित होगा। सीएम इस बात को पहले भी स्पष्ट कर चुके हैं कि बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर केंद्रित होगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने पिछले वर्ष भी17 फरवरी 2024 को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 58,444 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इससे पहले भी 17 मार्च 2023 को बजट पेश किया था। इसके बाद 11 मार्च 2025 को विधानसभा में 17,053 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट भी पारित किया गया, जिससे कुल बजट आकार में वृद्धि हुई। हालांकि, केंद्र सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि में कटौती के कारण इस बार बजट का आकार पिछले वर्ष की तुलना में अधिक बढ़ने की संभावना कम है। सीएम ने वर्ष 2027 तक हिमाचल को “ग्रीन स्टेट” बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी दी जा सकती है ताकि लोग पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह ई-वाहनों को अपनाने के लिए प्रेरित हों। सरकार हिमाचल में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा कर सकती है। इसके अलावा, राज्य में पर्यटन को विकसित करने के लिए नई योजनाएं भी लाई जा सकती हैं जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सीएम आज अपने बजट में कर्मचारियों को 4 फीसदी डीए देने की घोषणा भी कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में घोषणा की थी कि निजी और सरकारी क्षेत्रों में कुल 42,000 युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। इस बजट में भी नई नौकरियों की घोषणा संभव है, जिसमें सरकारी विभागों में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य पदों पर भर्ती की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा, सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए नए मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में आधुनिक उपकरणों की खरीद पर भी बजट खर्च कर सकती है।
प्रदेश सरकार ने चुनावी वादे के तहत भैंस के दूध का न्यूनतम खरीद मूल्य 100 रुपये और गाय के दूध का 80 रुपये करने का ऐलान किया था, लेकिन अभी तक यह दर क्रमशः 55 रुपये और 45 रुपये प्रति लीटर है। सरकार चरणबद्ध तरीके से इन दरों में वृद्धि कर सकती है, जिससे लाखों पशुपालकों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार मक्के को 30 रुपये प्रति किलो और गेहूं को 40 रुपये प्रति किलो खरीदने की नीति अपना रही है। बजट में इस दिशा में भी कुछ नए ऐलान संभव हैं।
प्रदेश में 14.55 लाख से अधिक मनरेगा श्रमिक कार्यरत हैं, जिन्हें वर्तमान में 300 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिल रही है। पिछले वर्ष इसे 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये किया गया था। इस बार भी मजदूरी में वृद्धि संभव है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के श्रमिकों की आय बढ़ेगी।प्रदेश में 8.24 लाख से अधिक वृद्धजनों, विधवाओं, दिव्यांगों और एकल नारियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल रही है। सरकार इस बार बजट में पेंशन राशि में वृद्धि कर सकती है, जिससे इन वर्गों को आर्थिक संबल मिलेगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, मिड-डे मील वर्करों, पंचायत चौकीदारों, मल्टी टास्क वर्करों, पंप ऑपरेटरों और जलवाहकों का मानदेय बढ़ाने की भी संभावना है। सरकार ने पिछले वर्ष भी इनका वेतन बढ़ाया था और इस बार भी इन्हें राहत मिलने की उम्मीद है।