शिमला-14 दिसंबर. हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच PWD के ठेकेदारों के भुगतान पर रोक लगा दी गई है। 21 नवंबर से ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। इससे ठेकेदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ठेकेदारों के बिल खजाने में अटक रहे हैं। ठेकेदार अपने इंजीनियरों, कर्मचारियों और मजदूरों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। कुछ ठेकेदार अब काम बंद करने की तैयारी में हैं, क्योंकि पीडब्ल्यूडी द्वारा बिल पास किए जाने के बावजूद उनका भुगतान खजाने से नहीं हो रहा है। जानकारी के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी को ठेकेदारों को 820 करोड़ से अधिक का भुगतान करना है।
यह भी बताया जा रहा है कि ‘ए’ श्रेणी के कई ठेकेदारों का 50 लाख से अधिक का भुगतान लंबित है। ठेकेदार बार-बार पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों के पास जाकर भुगतान की मांग कर रहे हैं। लेकिन भुगतान नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में ठेकेदार पीडब्ल्यूडी मंत्री से भी मिल चुके हैं। प्रदेश में करीब 5000 ठेकेदार पंजीकृत हैं। इनके परिवार, कर्मचारी और मजदूर समेत हजारों परिवारों की आजीविका इन पर निर्भर है।
हिमाचल प्रदेश कॉट्रेक्टर एसोसिएशन के महासचिव संदीप चंदेल ने बताया कि ट्रेजरी से पेमेंट में होल्ड की वजह से स्टाफ व मजदूरों की पेमेंट नहीं दे पा रहे। अब काम बंद करने की नौबत आ गई है। 21 नवंबर के बाद पेमेंट नहीं हो रही। 10-15 हजार की पेमेंट कुछ ठेकेदार को जरूर हुई है। मगर बड़ी पेमेंट नहीं दी जा रही। उन्होंने बताया कि यदि जल्द पेमेंट नहीं दी गई तो आने वाले दिनों में काम बंद करने पड़ेंगे। ऐसे में यदि ठेकेदार काम बंद कर देते हैं, तो इसका असर विकास कार्य पर भी पड़ेगा, क्योंकि प्रदेश में लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, बिजली बोर्ड समेत कई विभागों के ज्यादातर काम अब ठेकेदारों के माध्यम से करवाए जा रहे हैं।
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता एनपी सिंह ने बताया कि विभाग ठेकेदारों की पेमेंट के बिल बनाकर ट्रेज़री को भेज रहा है। विभाग के स्तर पर किसी के बिल नहीं रोके जा रहे हैं।
बता दें कि हिमाचल सरकार पर 95 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। लगभग 9000 करोड़ रुपए की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इसके विपरीत केंद्र से मिलने वाली मदद हर साल कम हो रही है। राज्य सरकार की कर्ज लेने की सीमा को भी केंद्र सरकार ने कम कर दिया है। रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट हर साल कम की जा रही है। GST प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर हर साल मिलने वाले लगभग 3000 करोड़ भी बंद कर दिए है। इससे राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। अपनी आय का ज्यादातर हिस्सा कर्मचारियों व पेंशनर की सैलरी-पेंशन पर खर्च हो रहा है।