शिमला-10 अक्टूबर.राज्य में दल-बदल के तहत अयोग्य पूर्व विधायकों की पेंशन-भत्ते बंद करने का विधेयक राजभवन पहुंच गया है। फरवरी में बजट सत्र में छाए सियासी संकट के बाद मानसून सत्र में सरकार ने विधेयक पास किया है। कानून बनने के बाद पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टाे की विधायक पेंशन और भत्ते बंद हो जाएंगे। सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, आईडी लखनपाल, रवि ठाकुर के पूर्व कार्यकाल की भी पेंशन में गणना नहीं होगी। राज्यपाल के पास कई अन्य विधेयक लंबित होने के चलते इस विधेयक के पास होने पर भी संकट बना है। इस विधेयक के तहत पेंशन अधिकार से वंचित होने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायकों से पिछली रकम की वसूली का भी प्रावधान है।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की मंजूरी मिलते ही हिमाचल ऐसा कानून बनाने वाला पहला राज्य बन जाएगा। संशोधित विधेयक में व्यवस्था है कि किसी बात के प्रतिकूल होते हुए भी कोई व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत पेंशन का हकदार नहीं होगा, यदि उसे संविधान की दसवीं अनुसूची के अधीन अयोग्य घोषित किया है। यदि कोई व्यक्ति इस उपधारा के अधीन पेंशन के अधिकार से वंचित होता है तो उसकी ओर से पहले से ली पेंशन ऐसी रीति से वसूली जाएगी, जैसी निर्धारित होगी। लोकतंत्र प्रहरी बिल राजभवन में लंबित है। जयराम सरकार के समय लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक 2021 पारित किया था। आपातकाल के समय जेल में रहने वाले नेताओं की 20 हजार और 12 हजार रुपये प्रति माह सम्मान राशि देने का प्रावधान किया था। सरकार बदलने पर लोकतंत्र प्रहरी सम्मान निरसन विधेयक पारित करने का प्रस्ताव सदन में रखा। भाजपा के हंगामे के बीच इसे पारित किया गया। फिर विधेयक राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा था।