शिमला-22सितंबर. प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को 6 माह के सेवा विस्तार के खिलाफ याचिका पर सुनवाई मंगलवार, 23 सितंबर को भी जारी रहेगी. इस मामले में याचिका कर्ता और केंद्र सरकार की तरफ से बहस पूरी कर ली गई है. अब मंगलवार को राज्य सरकार व प्रबोध सक्सेना की तरफ से बहस की जाएगी. अतुल शर्मा नामक व्यक्ति ने प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव के तौर पर छह माह के सेवा विस्तार के खिलाफ याचिका जनहित याचिका दाखिल की हुई है.
केंद्र सरकार ने इस केस में दलील दी थी कि प्रबोध सक्सेना जब एक्सटेंशन से पहले दो साल तक मुख्य सचिव के पद पर थे, तब किसी को कोई आपत्ति नहीं थी. फिर जब उन्हें सेवा विस्तार दिया गया तो हाय-तौबा मच गई. उल्लेखनीय है कि प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव के रूप में सेवा विस्तार की अवधि 30 सितंबर को खत्म हो रही है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ के समक्ष हो रही है.
केंद्र सरकार ने खंडपीठ के समक्ष बताया कि सीएम ने एक साल के लिए सेवा विस्तार का आग्रह किया था, जबकि नियमों के तहत यह एक्सटेंशन छह महीनों के लिए दिया गया. मामले में पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पूछा था कि क्या यह समझा जाए कि अब उन्हें फिर से सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा? इस पर केंद्र सरकार ने बताया था कि फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता परंतु यह एक तथ्य है कि अभी तक इस संबंध में हिमाचल के सीएम की ओर से कोई आग्रह पत्र केंद्र को नहीं मिला है.
बता दें कि याचिकाकर्ता अतुल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि प्रबोध सक्सेना को एक्सटेंशन देने पर सवाल उठाए थे. याचिका में कहा गया है कि प्रबोध सक्सेना का नाम ऑफिसर्स विद डाउटफुल इंटेग्रिटी लिस्ट में होने के बाद भी उन्हें सेवा विस्तार दिया गया. प्रबोध सक्सेना पर आपराधिक मुकदमा लंबित होने के बावजूद उन्हें सेवा विस्तार दिया गया. उनका नाम सीबीआई की चार्जशीट में है. प्रबोध सक्सेना वर्ष 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. दागी अफसरों की लिस्ट में नाम होने के बावजूद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने 28 मार्च 2025 को प्रबोध सक्सेना के सेवा विस्तार को अनुमति दी थी.



