शिमला-07 मार्च. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में गुड़िया रेप व निर्मम हत्या के दोषी नीलू चरानी की अपील पर 10 मार्च से रोजाना सुनवाई होगी। इस मामले में शिमला स्थित सीबीआई कोर्ट ने दोषी नीलू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रार्थी ने खुद को दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और न्यायाधीश बीसी नेगी की विशेष खंडपीठ के समक्ष इस अपील पर सुनवाई हुई। दोषी की ओर से मामले पर जिरह करने के लिए समय की मांग की थी। जिसे नकारते हुए कोर्ट ने कहा कि यह मामला वर्ष 2021 से हाईकोर्ट में लंबित है। अपीलकर्ता की सजा को निलंबित नहीं किया गया है, जिसका अर्थ है कि वह जेल में है और इन परिस्थितियों में, यह न्यायालय अपीलकर्ता के प्रति भी कर्तव्य रखता है कि उसके मामले का यथाशीघ्र निर्णय करे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई अप्रैल माह में करने की मांग को नकारते हुए स्पष्ट किया कि यदि अपीलकर्ता की ओर से कोई और स्थगन मांगा जाता है, तो यह कोर्ट न्यायालय की सहायता के लिए किसी कानूनी सहायता प्रदान करने वाले अधिवक्ता को नियुक्त करने में संकोच नहीं करेगा।
बता दें कि CBI की चार्जशीट के मुताबिक अनिल कुमार उर्फ नीलू ने 4 जुलाई 2017 को गुड़िया से दुष्कर्म किया और बाद में उसका गला घोंटकर उसे मौत के घाट उतार दिया था। जांच के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ था कि गुड़िया व आरोपी के बीच गुड़िया के ऊपर थूकने को लेकर कहासुनी हुई थी और दोनों के बीच हाथापाई हुई थी। हालांकि स्थानीय पुलिस ने कथित तौर पर वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर 5 लोगों को हिरासत में लिया था। 13 जुलाई 2017 को स्थानीय पुलिस ने इस बात का खुलासा प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से किया था कि उन्होंने 5 लोगों को वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पुलिस हिरासत में ले लिया है । हाईकोर्ट द्वारा मामला सीबीआई को सौंपने के पश्चात सीबीआई ने पुलिस द्वारा घोषित आरोपियों को डिस्चार्ज करने को कहा था। स्थानीय पुलिस की जांच के दौरान पकड़े गए एक आरोपी सूरज की 19 जुलाई की रात को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इस बात का भी खुलासा हुआ था कि 2 लोगों के बयानों के आधार पर पांच लोगों को हिरासत में लिया गया था। लेकिन सीबीआई की जांच के दौरान ये दोनों अपने उस बयान से मुकर गए थे जो उन्होंने स्थानीय पुलिस के समक्ष दर्ज करवाये थे। स्थानीय पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट, नारको एनालिसिस रिपोर्ट, ब्रेन इलेक्ट्रिकल ओसीलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग व कंप्रीहेंसिव फॉरेंसिक साइकोलॉजिकल रिपोर्ट से भी इस बात का खुलासा हुआ था कि इन लोगों को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया था। चार्जशीट में यह भी बताया गया था कि दोषी अनिल उर्फ नीलू आदतन अपराधी है। उसके खिलाफ वर्ष 2015 में पुलिस स्टेशन सराहां, जिला सिरमौर में भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 354, 326 ,323 व 324 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसे 14 जुलाई 2016 को उस मामले में हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी। उसके पश्चात वह फरार हो गया था। नीलू के खिलाफ यह भी आरोप था कि उसने 5 व 6 जुलाई 2017 की रात को एक युवती से दुष्कर्म का प्रयास किया।