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Breaking: बसों का मिनिमम किराया पांच रुपए बढ़ाना प्रदेश वासियों के साथ निर्दयता: जयराम ठाकुर

शिमला-06 अप्रैल. बसों का मिनिमम किराया पांच रूपए बढ़ाने पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार के काम करने के तरीके को पूरा प्रदेश और पूरा देश समझ चुका है। जो पार्टी सत्ता में बहुत सारी गारंटी के साथ आई वादों के साथ आई उन वादों को छोड़ दिया। अब उनके साथ सरकार निर्दयता से पेश आ रही है। सबसे बड़ी बात है कि गरीब वर्ग के लिए प्रदेश में ट्रांसपोर्टेशन का एकमात्र साधन हमारी एचआरटीसी की बसें हैं। सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि बस में कदम रखते ही ₹10 आपको देना पड़ेगा चाहे आपको सौ मीटर जाना है या 400 मीटर या एक किलोमीटर। हिमाचल प्रदेश सरकार इस प्रकार के फैसले लेकर गरीब लोगों की कमर तोड़ने का काम कर रही है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में पावर जेनरेशन के सेक्टर में बहुत बड़े-बड़े खेल हो रहे हैं। जिन प्रोजेक्ट्स को लंबे समय से कोई करने को तैयार नहीं था उन्हें देश की प्रतिष्ठित और प्रतियोगी कंपनी एसजेवीएनएल और एनएचपीसी को दिया गया। क्योंकि उन कंपनियों की क्षमता थी और उनका ट्रैक रिकॉर्ड था कि वह ऐसा काम कर सकते हैं। चारों पावर प्रोजेक्ट्स में काम शुरू हो चुका है और सरकार अब उनसे प्रोजेक्ट वापस ले रही है। उनकी बातचीत आंध्र प्रदेश की और कर्नाटक की कुछ कंपनियों से चल रही है। इन सब में बहुत बड़ा खेल है। पॉवर प्रोजेक्ट्स में फैले भ्रष्टाचार के कारण ही एचपीपीसीएल के महाप्रबंधक विमल नेगी जी की मौत हुई है। उन्होंने आत्महत्या की है या उनकी हत्या हुई है यह भी रहस्य अब गहराता जा रहा है। सरकार ने 15 दिन का समय उनके परिवार को दिया था वह भी पूरा हो गया और उस दौरान सरकार एक आरोपी से पूछताछ भी नहीं कर पाई। परिजन सीबीआई जांच की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकाल रहे हैं और सरकार जाने किसे बचा रही है। पावर सेक्टर में जो बहुत बड़ा घोटाला चल रहा है एक नेक्सस चल रहा है नेताओं का अधिकारियों का। जिस पर पर्दा डालने का काम सरकार कर रही है।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर चौड़ा मैदान में प्रदर्शनरत वोकेशनल टीचर्स से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी। उन्होंने प्रदर्शनरत शिक्षकों से उनकी मांगों को सरकार के सामने रखने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि इस विषय में जो भी तकनीकी समस्याएं हैं उनका निदान करके सरकार वोकेशनल टीचर्स की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें क्योंकि उनकी मांगों से सरकार को कोई वित्तीय नुकसान होता प्रतीत नहीं हो रहा है।

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