शिमला-02 अप्रैल.HPPCL के चीफ इंजीनयर विमल नेगी की आत्महत्या मामले में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह/राजस्व) ओंकार चंद शर्मा को प्रस्तुत इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार HPPCL के महाप्रबंधक (जीएम) रहे दिवंगत इंजीनियर विमल नेगी को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अनुचित दबाव, मानसिक उत्पीड़न और भ्रष्टाचार का हिस्सा बनने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
अखिल भारतीय विद्युत अभियंता महासंघ के संरक्षक सुनील ग्रोवर की ओर से प्रस्तुत बयान में आरोप लगाया गया है कि HPPCL के प्रबंध निदेशक (एमडी) हरिकेश मीना और निदेशक (विद्युत) देशराज ने संगठित भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हुए कई परियोजनाओं में हेरफेर किया। जब इंजीनियर विमल नेगी ने इन गतिविधियों का विरोध किया तो उन्हें जबरन दबाव में लाकर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले छह महीनों से विमल नेगी को एक भी अवकाश नहीं दिया गया था, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता गया।
रिपोर्ट में विशेष रूप से दो प्रमुख परियोजनाओं में घोटाले का जिक्र किया गया है—450 मेगावाट शोंगटोंग करछम हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट और 32 मेगावाट पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना।
- एचपीपीसीएल ने इस परियोजना के लिए लागत ₹220 करोड़ निर्धारित की, जबकि वास्तविक लागत मात्र ₹120 करोड़ होनी चाहिए थी। प्रति मेगावाट निर्माण की लागत ₹6.8 करोड़ निर्धारित की गई, जबकि राष्ट्रीय औसत ₹3.5-4 करोड़ है। टैरिफ को ₹4.90 प्रति यूनिट प्रस्तावित किया गया, जिसे नियामक आयोग (HPERC) ने खारिज कर ₹2.90 प्रति यूनिट तय किया। निविदाओं में हेरफेर कर ठेका एक अपात्र कंपनी मेसर्स प्रोजील को दिया गया। परियोजना के जल निकासी कार्य अधूरे रहने के बावजूद फर्जी भुगतान किए गए, जिससे अगस्त 2024 में बाढ़ की स्थिति बनी।
- परियोजना की मूल लागत ₹1724 करोड़ थी, जो बढ़कर ₹4800 करोड़ तक पहुंच सकती है। केवल 48-53% कार्य पूरा होने के बावजूद ₹2230 करोड़ खर्च हो चुके हैं।
- MD हरिकेश मीना पर आरोप है कि उन्होंने सिविल ठेकेदार मेसर्स पटेल इंजीनियर्स को अनुचित लाभ पहुंचाया। अधिकारियों को जबरन अपनी मनमर्जी के अनुसार दस्तावेज तैयार करने के लिए बाध्य किया गया, अन्यथा निलंबन की धमकी दी गई।रिपोर्ट में इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि भ्रष्टाचार के प्रमुख किरदारों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और संविधान की धारा 311 के तहत उनकी बर्खास्तगी पर विचार किया जाना चाहिए।
- इस पूरे प्रकरण को लेकर इंजीनियरिंग संघ में आक्रोश है। हिमाचल प्रदेश पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन और अखिल भारतीय विद्युत अभियंता महासंघ ने सरकार से मांग की है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए।