मनाली-14 जनवरी.सनातन धर्म का सबसे पवित्र त्यौहार मकर सक्रांति यानी माघ महीना आज से शुरू हो गया है। देशभर में मकर सक्रांति पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया है रहा है। आस्था व मान्यता के इस महापर्व पर लोग पवित्र स्थानों पर जाकर आस्था की डुबकी और शाही स्नान करते हैं तो कुल्लू के मनाली में सदियों पुरानी परंपरा को लोग देव आस्था के साथ आज भी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। देवी – देवताओं में अटूट विश्वास और श्रद्धा को निभाने के लिए स्थानीय लोग अगले 45 दिनों तक न तो गांव में शोर- शराबा करेंगे और न ही मोबाइल व टीवी का इस्तेमाल करेंगे। इतना ही नहीं इस दौरान कृषि कार्य पूरी तरह से बंद रहेंगे। मकर संक्रांति के दिन गोशाल गांव में देवता ब्यास ऋषि के मंदिर में पूजा अर्चना की गई और उसके बाद मंदिर को बंद कर दिया गया। इतना ही नहीं मंदिर की घंटियों को भी कपड़े से बांध दिया गया, ताकि किसी भी प्रकार का शोर शराबा ना हो सके।
देवता के कारदार हरि सिंह ने कहा कि घाटी के नौ गांवों के लोग 14 जनवरी से देव प्रतिबंध में बंध गए हैं और उनके मोबाइल भी साइलेंट हो गए हैं। ये परम्परा सदियों से चली आ रही है और आज भी परम्परा बखूबी निभाई जा रही है. फिर चाहे वो आज का युवा हो या फिर यहां आने वाला पर्यटक सभी इस परम्परा को निभाते हैं। स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि मकर संक्रांति के दिन से गांव के आराध्य देवता तपस्या में लीन हो जाते हैं और देवताओं की तपस्या भंग न हो सके इसके लिए शोर शराबे पर प्रतिबंध रहता है। जिला कुल्लू की उझी घाटी के गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच के लोग इस देव प्रतिबंध का पालन करेंगे. देव प्रतिबंध के चलते गोशाल गांव के ग्रामीण रेडियो, टीवी का प्रयोग नहीं करेंगे, ग्रामीण खेतों का रुख भी नहीं करेंगे। देव प्रतिबंध के चलते ग्रामीण 42 दिन तक देव आज्ञा का पालन करेंगे। ग्रामीण स्वर्ग प्रवास से लौटने पर देवताओं का जोरदार स्वागत करेंगे और आराध्य देवों के सम्मान में उत्सव का भी आयोजन करेंगे। देवता स्वर्ग प्रवास से लौटते ही भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे भी भविष्यवाणी करेंगे।