कांगड़ा-21 अप्रैल. हरियाणा के करनाल जिले के रामनगर से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक दो माह की मासूम बच्ची को कथित रूप से इलाज और गरीबी के नाम पर बहलाकर हिमाचल प्रदेश में बेचने का आरोप लगा है। मां सीमा द्वारा पुलिस में दी गई शिकायत के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में बच्ची को हिमाचल के कांगड़ा जिले के ज्वालाजी से बरामद किया गया।
मां का दावा है कि वह बच्ची के इलाज के लिए एक निजी अस्पताल गई थी, जहां लौटते समय उसे एक महिला ने संस्था के नाम पर सहायता देने का वादा किया और बाद में कुछ लोग उसके झोपड़े तक पहुंच गए। आरोप है कि संस्था के लोग इलाज और गरीबी मिटाने का लालच देकर बच्ची को अपने साथ ले गए, और उसके बदले कुछ रुपये भी थमाए गए।
वहीं पुलिस जांच में सामने आया कि बच्ची की सौदेबाजी लगभग 2.20 लाख में शुरू हुई, लेकिन सौदा 1.70 लाख में तय हुआ। इसमें से मां को सिर्फ 95 हजार रुपए मिले, जिससे विवाद खड़ा हो गया। जांच अधिकारी गुरजीत सिंह के अनुसार, बच्ची को वीडियो कॉल पर दिखाया गया और सौदे की पुष्टि की गई थी।फिलहाल बच्ची को सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में रखा गया है और पुलिस पूरे रैकेट की परतें खोलने में जुटी है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि कहीं अस्पताल की मिलीभगत तो इसमें शामिल नहीं थी।
इस घटना ने न केवल प्रशासनिक सतर्कता की परीक्षा ली है, बल्कि समाज की नैतिकता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
सीडब्ल्यूसी के उपाध्यक्ष उमेश चानना ने इस घटना को गंभीर अपराध की संज्ञा दी है और स्पष्ट कहा है कि बच्ची खरीदने वालों ने स्वयं स्वीकार किया है कि उन्होंने 1.70 लाख में बच्ची खरीदी थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या मां ने बच्ची स्वेच्छा से दी या उसे बहलाकर फंसाया गया, इस पर जांच चल रही है।
वहीं सीमा का कहना है कि संस्था के लोगों ने पहले पैसे दिए, फिर वीडियो बनाकर दबाव बनाया, और जब वह शक के घेरे में आई तो उन्होंने पैसे लौटा दिए, लेकिन तब तक बच्ची को लेकर वे जा चुके थे। उसका यह भी कहना है कि दरवाजे की कुंडी लगाकर बच्ची को ले जाया गया।