शिमला-28अगस्त.हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एकजुट होकर इसके लिए जिम्मेवार कारणों पर गहरी चिंता जताई। ऐसी आपदा बार-बार न आए, इसके लिए सभी सदस्यों ने ठोस कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया। प्राकृतिक आपदा पर एक सुर में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने कहा कि अंधाधुंध निर्माण, कटिंग इसके लिए जिम्मेवार है। संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव लाया तो सत्ता पक्ष और विपक्ष ने सुर में सुर मिलाते हुए कई विषय उठाए। चर्चा में भाग लेते हुए बंजार के भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि 21 जून से प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचाई हुई है। इससे निपटने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। प्रभावित क्षेत्रों में कहां-कहां राशन नहीं है, इसकी जानकारी लेते हुए राशन पहुंचाना चाहिए। सैंज घाटी में लोग टेंटों में रह रहे हैं। यहां तीन गांव के 50 से 60 लोगों के पास राशन नहीं है। उन्होंने हेलिकाप्टर से राशन भेजने की मांग की। सड़कों को बहाल करने के लिए ऑफलाइन टेंडर करने का भी मामला उठाया।
भरमौर के भाजपा विधायक डॉ. जनक राज ने कहा कि पांगी का इलाका देश-दुनिया से कट चुका है। उन्होंने राहत पैकेज की 10 फीसदी राशि चंबा में खर्च करने की मांग की। उन्होंने मणिमहेश यात्रा के लिए आए लोगों को सुरक्षित घरों तक पहुंचाने की मांग की। चर्चा में अनुराधा राणा, हंसराज ने भी अपने अपने क्षेत्र में हुए नुकसान की बात कही। बड़सर के भाजपा विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि समय पर सहायता दिलाए जाने की जरूरत है। इस प्रस्ताव का वह समर्थन करते हैं।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इससे पहले कि वह प्रस्ताव पर जाएं, वह यह कहेंगे कि इस आपदा की घड़ी में प्रभावित लोगों को मदद पहुंचे। लोगों के पास आने जाने के साधन नहीं हैं तो सेना के हेलिकाप्टर मंगवाए जाने चाहिए। चौपर चंबा में होगा तो उसका उपयोग किया जा सकता है। इस बारे में विलंब न किया जाए। वहां तक राशन पहुंचाना भी मुश्किल नहीं है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के लाए प्रस्ताव का विरोध नहीं कर रहे हैं। इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। इस पर उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि चंबा में चार हेलिकाप्टर उपलब्ध हैं और लाहौल-स्पीति में भी व्यवस्था की गई है। जैसे ही मौसम साफ होता है, वैसे ही इनका इस्तेमाल होगा।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने जो प्रस्ताव लाया है, यह प्रदेश हित में है। इसके लिए तीन दिन का समय चाहिए। मैं इसे प्रदेश में व्यापक जनहित का मामला मानते हुए दो दिन की छूट देता हूं। अगर सभी इसके लिए सहमत हों तो विधेयकों को रखने के बाद इसे शुरू किया जाए। इससे सदन सहमत हुआ।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सदन में प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल के अलावा जम्मू-कश्मीर, हरियाणा के साथ लगते क्षेत्र भी इस आपदा का नुकसान झेल रहे हैं। इससे पीछे नहीं हटा जा सकता है कि जो ग्लोबल वार्मिंग पूरे प्रदेश में स्थितियां बदल रहा है। अनियोजित तरीके से जो निर्माण कार्य हो रहा है, उससे नुकसान हो रहा है। दीर्घकालिक योजना बनाए जाने की भी जरूरत है। अधिकतम सुरंगें बनें। पेड़ों का कटान कम से कम हो। पहले कहीं-कहीं इस तरह से बादल फटते थे। अब तो घटनाएं बहुत अधिक बढ़ गई हैं, जो चिंताजनक है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सड़कों को बनाने का दबाव रहता है। किस तरीके से न्यूनतम नुकसान हो, यह बहुत महत्वपूर्ण है। कोल डैम के बनने से शिमला के अंदर भी जलवायु परिवर्तन हो रहा है। धुंध छाए रहने का भी यह कारण है। 24, 25 और 26 अगस्त को तीन दिन में प्रदेश में करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।