शिमला-25 अक्टूबर. राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करने का फैसला लिया है। मांगे पूरी नहीं होने पर 28 अक्तूबर से प्रदर्शन कर बिजली कर्मचारी विरोध जताएंगे। इंजीनियरों और कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा ने गुरुवार को आपात बैठक कर सरकार को यह अल्टीमेटम दिया है। संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली बोर्ड को विघटित कर निजी कंपनियों के हवाले नहीं करने देंगे। उन्होंने समाप्त किए गए सभी 51 इंजीनियरिंग कैडर पदों को लेकर तुरंत बहाली भी मांगी।महासचिव हीरालाल वर्मा ने बताया कि मांगों पर सरकार व बोर्ड प्रबंधन द्वारा कोई कार्यवाही न होने से कर्मचारियों और अभियंताओं में भारी आक्रोश है। ऐसे में 28 अक्तूबर से पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन कर विरोध जताने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कोई हल नहीं निकला तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। बोर्ड के कर्मचारियों और इंजीनियरों के संयुक्त मोर्चे ने कर्मचारियों के कल्याण और संगठन की परिचालन अखंडता से संबंधित कई महत्वपूर्ण मांगों का सर्वसम्मति से समर्थन किया।
मोर्चा के महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि 16 अक्तूबर 2024 की अधिसूचना के अनुसार समाप्त किए गए सभी 51 इंजीनियरिंग कैडर पदों की बहाली होनी चाहिए। एक दशक से अधिक समय से ड्राइवर के रूप में काम कर रहे 81 आउटसोर्स कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले छंटनी के आदेशों को वापस लिया जाए। बिना किसी देरी के बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन प्रणाली को लागू किया जाए। बिजली बोर्ड ट्रांसफर स्कीम 2010 से जुड़े द्विपक्षीय समझौते का पालन करते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि संयुक्त मोर्चे के परामर्श के बिना कोई भी संपत्ति हस्तांतरित न हो। टी/मेट के 1,030 स्वीकृत पदों के लिए चयन प्रक्रिया आरंभ की जाए तथा अन्य रिक्त पदों को भरा जाए। पेंशन और वेतन का बकाया जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा में इन मुद्दों को हल करने में प्रबंधन की अनिच्छा को लेकर गहरी चिंता है। इससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। मोर्चा ने हिमाचल प्रदेश सरकार और बिजली बोर्ड प्रबंधन से जिम्मेदारी से काम करने और इन लंबे समय से लंबित मुद्दों को तुरंत हल करने का आह्वान किया है, ताकि तनाव को बढ़ने से रोका जा सके और औद्योगिक शांति बनी रहे।