शिमला-12 अक्टूबर. नवरात्रि में कई भक्त घर पर कलश स्थापना कर पूरे नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। वहीं कुछ लोग केवल अष्टमी तिथि को उपवास रखते हैं। कलश स्थापना कर विधि-विधान से माता रानी की पूजा-अर्चना करने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं। इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है, इसलिए भक्त यह समझ नहीं पा रहे हैं कि नवरात्रि व्रत का पारण किस दिन करना चाहिए। व्रत का पारण सही और शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए, इसलिए लोगों के मन में काफी दुविधा है। 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो चुकी है, जिसका समापन 12 अक्तूबर को होगा। जो लोग पूरे नवरात्रि उपवास रखते हैं, उन्हें दशमी तिथि में व्रत का पारण करना चाहिए। जबकि जो भक्त केवल अष्टमी तिथि को उपवास रखते हैं, उन्हें नवमी तिथि में पारण करना चाहिए।मान्यता के अनुसार, जो भक्त पूरे नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत करते हैं, उनके लिए नवमी तिथि समाप्त होने के बाद यानी दशमी तिथि में व्रत का पारण करना शुभ माना जाता है। इस साल नवमी तिथि 12 अक्तूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसके बाद दशमी तिथि की शुरुआत हो जाएगी। इसलिए 12 अक्तूबर को सुबह 10 बजकर 59 मिनट के बाद आप व्रत का पारण कर सकते हैं।
जो भक्त पूरे नौ दिनों तक नवरात्रि का व्रत रखते हैं, उन्हें दशमी तिथि प्रारंभ होते ही स्नान करना चाहिए। इसके बाद फिर विधि-विधान से माता दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद माता रानी की आरती करें, क्षमा याचना करें और दान भी करें। इसके बाद मां दुर्गा का प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही व्रत का पारण करें। इस दौरान आप भूलकर भी तामसिक भोजन न करें। ऐसे में भोजन के साथ पारण करने से आपका पूरा व्रत निष्फल हो सकता है।