शिमला-09 अक्टूबर. शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा करते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की सातवीं तिथि को नवरात्रि का सातवां दिन होता है. इस साल नवरात्रि का सातवां दिन 9 अक्टूबर बुधवार को है. मां दुर्गा ने रक्त-बीज का संहार करने के लिए कालरात्रि स्वरूप धारण किया था. श्याम वर्ण की चार भुजाओं वाली देवी मां कालरात्रि खुले बालों में साक्षात् काल के समान दिखती हैं. गर्दभ पर सवार होती हैं. उनके हाथों में कटार और व्रज होता है. इस वजह से उनका नाम कालरात्रि है. हालांकि वे अपने भक्तों को शुभ फल देती हैं, इसलिए वे शुभंकरी भी हैं.
नवरात्रि के सातवें दिन सुबह में स्नान आदि से निवृत होकर पूजा पाठ करें. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करें. सबसे पहले मां कालरात्रि को गंगाजल से स्नान कराएं. फिर उनका अक्षत्, फूल, फल, कुमकुम, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करके पूजन करें. इस दौरान मां कालरात्रि के मंत्रों का उच्चारण करें. उसके बाद मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाएं. पूजा का समापन मां कालरात्रि की आरती से करें.
मां कालरात्रि पूजा मंत्र
1. क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:2. ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।3. या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कालरात्रि की पूजा के फायदे
1. मां कालरात्रि दुश्मनों का दमन करने वाली देवी हैं. उनकी पूजा करने से दुश्मनों पर विजय प्राप्त होता है.2. अकाल मृत्यु, अनजाने भय आदि से मुक्ति के लिए भी मां कालरात्रि की पूजा करते हैं.3. जिस व्यक्ति को अदम्य साहस और पराक्रम की जरूरत होती है, उसे मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए.