शिमला-07 अक्टूबर. नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा होती है.सुबह जल्दी उठ कर स्नानदि से निवृत्त हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.अब उस स्थान पर माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें जहां आपने कलश स्थापना की है.इसके बाद आप माता को फूल चढ़ाएं, फिर फल और मिष्ठान का भोग लगाएं.अब धूप दीप जलाएं और फिर स्कंदमाता की आरती करें.इस विधि से पूजा करें, स्कंदमाता का शुभ आशीर्वाद प्राप्त होगा.
देवी स्कंदमाता का मंत्रसिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया . शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्कंदमाता का ये स्वरूप कमल के आसन पर विराजमान हैं, जिसके कारण उन्हें देवी पद्मासना भी कहा जाता है. स्कंदमाता का वाहन सिंह है और उनकी चार भुजाएं हैं. जिसमें से दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में कमल का पुष्प है. दाईं तरफ की नीचे वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में विराजमान हैं. जबकि, बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में कमल पुष्प और नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंदमाता का ये स्परूप परम सुख शांति का अनुभव कराता है. इस दिन जो भक्त मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करता है, उसकी हर इच्छाओं की पूर्ति होती हैं. मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं.