शिमला-04 अक्टूबर. शारदीय नवरात्र उत्सव का आज दूसरा दिन है। दूसरे दिन मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का हैं। उनकी पूजा करने से साधक के भाग्य में वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्मा जी का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है।
मान्यता है कि देवी की विधिनुसार आराधना करने से हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती हैं। साथ ही लालसाओं से मुक्ति के लिए मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करना चाहिए। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। ऐसे में आइए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और भोग के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का रूप
मां ब्रह्मचारिणी का रूप मन को मोह लेने वाला है। देवी सफेद रंग की साड़ी धारण करती हैं, उनके एक हाथ में कमंडल और एक हाथ में माला है। मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन इनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है, और उनके सुखों में भी वृद्धि होती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ऐसे में पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें। फिर सभी पूजा की सामग्रियों के साथ पूजा स्थान पर अपनी जगह लें। अब मां ब्रह्मचारिणी जी को फूल की माला पहनाएं। इसके बाद अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। इस दौरान भोग स्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। अंत में दीप लगाकर आरती करना शुरू करें, और अपनी गलतियों की क्षमा मांगे।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग ?
मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए गुड़ या चीनी से बनी मिठाई का भोग लगाएं। इससे देवी की कृपा प्राप्त होती हैं। यदि मिठाई नहीं है, तो आप चीनी या गुड़ भी अर्पित कर सकते हैं। इसे बेहद शुभ माना जाता है।
मां ब्रह्माचारिणी मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। - दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।