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Breaking: विमल नेगी मौत मामले में हाईकोर्ट ने 23 मई तक फैसला रखा सुरक्षित

शिमला-21 मई. पूर्व चीफ इंजीनियर दिवंगत विमल नेगी मौत मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब इस मामले में 23 मई को फैसला आने की उम्मीद है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत में बुधवार को मामले की सुनवाई हुई। मामले पर एक-दो दिनों में  हाईकोर्ट कोर्ट का फैसला आ सकता है। ऐसे में अब मामला सीबीआई को साैंपा जाएगा या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। वहीं अदालत की अनुमति के बिना अब शिमला पुलिस इस मामले में चार्जशीट दायर नहीं कर पाएगी। कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। सरकार की ओर से अदालत को दो रिपोर्ट सौंपी गई हैं। एक अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओकार चंद शर्मा की प्रशासनिक जांच रिपोर्ट है तो दूसरी पुलिस की ओर से 134 पृष्ठों की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट दी गई है। अदालत ने इन दोनों जांच रिपोर्ट को अपने रिकॉर्ड में रख लिया है।

महाधिवक्ता ने अदालत से निवेदन किया है कि इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि अभी जांच चल रही है। सरकार ने इस मामले में एक एसआईटी गठित की है। डीजीपी की ओर से भी स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई है। परिजनों ने सरकार की जांच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अधिवक्ता ने कहा कि सरकार निष्पक्षता से जांच नहीं कर रही है। उन्होंने अदालत से इस मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की है। उन्होंने एसीएस की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है। अदालत ने फिलहाल इस मांग को स्वीकार नहीं किया है। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति विमल नेगी 10 मार्च से लापता थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत तीन दिन पहले बताई गई है। ऐसे में इनकी मौत पर सवाल खड़े हो गए हैं कि यह मामला आत्महत्या से जुड़ा है या किसी ने इन्हें मारने की साजिश रची है। पुलिस इस बात का पता अभी तक नहीं लगा पाई है। परिजनों ने आरोप लगाए हैं कि पावर कॉरपोरेशन के निदेशक देशराज, निलंबित एमडी हरिकेश मीणा और शिवम प्रताप की ओर से विमल नेगी पर गलत काम करवाने के लिए मानसिक दबाव बनाया जाता था। उन्हें कई-कई घंटे तक कार्यालय में बिठाया जाता था और उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता था। इस मामले को पेखूबेला प्रोजेक्ट में हुए घोटाले से भी जोड़ा जा रहा है। जांच रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया गया है।

पुलिस ने दो अलग-अलग स्टेटस रिपोर्ट दायर की हैं। महाधिवक्ता अनूप रतन ने अदालत को बताया कि इन दोनों रिपोर्ट के बारे में सरकार को पता नहीं है। सरकार निष्पक्ष जांच चाहती है। सरकार अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा की रिपोर्ट को समय आने पर सार्वजनिक तौर पर स्वयं पेश करेगी, जिससे परिजनों को न्याय मिले और जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, उसमें भी निष्पक्षता हो। उन्होंने बताया कि विमल नेगी के लापता होने से पहले डीजीपी ने एक एसआईटी गठित की थी। दूसरी एसआईटी सरकार की ओर से विमल नेगी की मौत के बाद गठित की गई। डीजीपी की ओर से गठित एसआईटी के एक अधिकारी ने पेन ड्राइव छुपा लिया था। इसे सरकार की ओर से गठित दूसरी एसआईटी ने अपने कब्जे में कर दिया।

प्रदेश हाईकोर्ट के महाधिवक्ता अनूप रतन ने अदालत से मांग की है कि एसीएस की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाए। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद इस मामले की जांच कराई गई। ओंकार शर्मा ने जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को सौंप दी है, मगर अब तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस पर परिजन सवाल खड़े कर रहे हैं।

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