शिमला-17 मई. बहुचर्चित पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिमला में दो नई एफआईआर दर्ज की हैं, जिन्हें ईसीआईआर कहा जाता है। ये मामले धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किए गए हैं। इन दोनों पूरक अभियोजन शिकायतों पर पीएमएलए कोर्ट शिमला ने भी संज्ञान ले लिया है। इस मामले में ईडी ने 10 आरोपियों को नामजद किया है और अब तक लगभग 30.5 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति अस्थायी रूप से अटैच की जा चुकी है। जिन संपत्तियों को अटैच किया गया है, उनमें नाहन और पंचकूला (हरियाणा) सहित अन्य स्थानों की संपत्तियां शामिल हैं।
यह कार्रवाई सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिक एफआईआर के आधार पर की गई है। सीबीआई की जांच में सामने आया था कि उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला द्वारा एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति राशि में गंभीर अनियमितताएं हुईं। कुछ निजी शैक्षणिक संस्थानों ने फर्जी छात्रों के नाम पर धनराशि का गबन किया।
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि कई ऐसे छात्रों के नाम से स्कॉलरशिप ली गई, जो संस्थानों में नामांकित ही नहीं थे। इन फर्जीवाड़ों में छात्रों के दस्तावेजों का भी फर्जी सत्यापन किया गया। अब तक ईडी 80 लाख रुपये की नकदी और 2.80 करोड़ रुपये से अधिक की राशि विभिन्न बैंक खातों से जब्त कर चुकी है। इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। ईडी और सीबीआई की इस संयुक्त कार्रवाई ने हिमाचल प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली में गहराई तक फैले घोटाले की परतें उजागर कर दी हैं, जो आने वाले दिनों में और भी नामों और आंकड़ों को सामने ला सकती है।