शिमला-03 मई. बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद पर आज नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मस्जिद की पूरी इमारत को गिराने के आदेश दे दिए। करीब 15 वर्षों से निगम कोर्ट में लंबित इस केस में आज हुई सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका।
नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने पाया कि वक्फ बोर्ड न तो मालिकाना हक से संबंधित दस्तावेज दे सका न ही निर्माण का वैध नक्शा प्रस्तुत कर पाया। वक्फ बोर्ड के वकील का कहना था कि मस्जिद 1947 से पहले की बनी हुई थी, जिसे बाद में दोबारा निर्माण किया गया। इस पर न्यायालय ने स्पष्ट रूप से यह सवाल उठाया कि यदि मस्जिद पुरानी थी, तो नई संरचना के लिए नगर निगम से जरूरी अनुमतियाँ क्यों नहीं ली गईं। करीब पौने घंटे तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा और दोपहर एक बजे के बाद फैसला सुनाते हुए पूरी संरचना को अवैध घोषित कर गिराने के आदेश दिए।
हिमाचल हाईकोर्ट ने पहले ही नगर निगम को आदेश दिए थे कि 8 मई 2025 से पहले इस केस का निपटारा करें, अन्यथा निगम पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। इसी को ध्यान में रखते हुए निगम आयुक्त ने आज ही निर्णय लिया।
बता दें कि 5 अक्टूबर 2023 को पहले ही मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिलों को गिराने का आदेश दिया जा चुका था। लेकिन इन आदेशों पर अमल बेहद धीमी गति से हुआ, और अब तक केवल छत व ऊपरी दीवारें हटाई गई हैं। अब बची हुई दो निचली मंजिलों को भी हटाने का आदेश दे दिया गया है। अब यह केस रोजाना आधार पर सुना जाएगा और सुनवाई जिला कोर्ट चक्कर में या निगम आयुक्त कार्यालय में होगी। इस विवाद की शुरुआत 29 अगस्त 2024 को मल्याणा में दो समुदायों के बीच झड़प के बाद हुई, जिसमें एक शख्स घायल हो गया था। 1 सितंबर 2024 को संजौली में मस्जिद के बाहर प्रदर्शन हुए और हिंदू संगठनों ने निर्माण की वैधता पर सवाल उठाए। इसके बाद स्थानीय रेजिडेंट्स ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें केस को शीघ्र निपटाने की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर 2024 को 8 हफ्ते में फैसला सुनाने के निर्देश दिए, लेकिन कार्यवाही धीमी रही। इसके बाद दोबारा डेडलाइन तय कर 8 मई 2025 तक निर्णय देने का अंतिम आदेश दिया गया। आज के फैसले से मामला एक निर्णायक मोड़ पर आ गया है।