शिमला-01मई. प्रदेश हाई कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षकों को सस्पेंड करने से जुड़े मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि एक सप्ताह के भीतर जवाब न दिया तो प्रार्थियों द्वारा रिकॉर्ड में रखे तथ्यों के आधार पर ही फैसला कर दिया जाएगा। कोर्ट ने शिक्षा सचिव समेत शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी किया है। मामले पर सुनवाई 13 मई को निर्धारित की गई है। यह याचिका जगदीश शर्मा, संजय, प्रताप ठाकुर और राम सिंह राव ने संयुक्त रूप से दायर की है। प्रार्थियों का आरोप है कि सरकार ने उनके संवैधानिक अधिकार को दबाने के लिए उन पर एक तरफा कार्यवाही की है। आरोप है कि इस सस्पेंशन के साथ ही उनके हेडक्वार्टर भी दूर दूर तय किए गए हैं जबकि उनके मामले में ऐसा करने की कोई जरूरत ही नहीं है क्योंकि उन्हें जिस आरोप में सस्पेंड किया गया है उसमें रिकॉर्ड से किसी छेड़छाड़ की कोई बात ही उत्पन्न नहीं होती।
बता दें कि जेबीटी शिक्षक सरकार की नीतियों के खिलाफ चौड़ा मैदान में हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि प्राथमिक शिक्षा का अलग निदेशालय होना चाहिए। प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षकों के पदों से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। मुख्य शिक्षक, केंद्र मुख्य शिक्षक और खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों की प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियां पहले की तरह रहनी चाहिए। प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षकों का प्रशासनिक नियंत्रण व संचालन यथावत रखा जाए। मुख्य शिक्षक का पदोन्नति उपरांत मिलने वाले लाभ जारी किए जाएं। 20 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके जेबीटी शिक्षकों को सीएंडवी की तर्ज पर विशेष वेतन वृद्धियां दी जाएं। हायर ग्रेड पे की विसंगतियों के लाभ सभी प्रभावित शिक्षकों को जारी किए जाएं।