शिमला-10 जनवरी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में शुक्रवार को आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज को फिर से एसपी बद्दी के पद पर नियुक्त करने के मामले में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले को एक अन्य क्रिमिनल मामले में सुनवाई कर रही खंडपीठ को वापस भेज दिया है। इस खंडपीठ ने इल्मा अफरोज को एसपी बद्दी रहते हुए एक मामले की जांच सौंपी थी। इसके बाद अदालत ने 9 सितंबर को आदेश पारित किए थे कि कोर्ट की अनुमति के बिना जांच के दौरान इल्मा अफरोज का तबादला नहीं किया जाएगा। अब इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ करेगी। अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
बता दें कि सुच्चा राम ने प्रदेश उच्च न्यायालय में तर्क दिया था कि इल्मा अफरोज जब से बद्दी की एसपी बनीं हैं, तब से कानून व्यवस्था में बहुत सुधार हुआ है। उन्होंने माइनिंग माफिया पर अंकुश लगाया है। हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों को सख्ती से लागू किया है।
बता दें कि इल्मा अफरोज ने 2024 में विधायक रामकुमार चौधरी की पत्नी की माइनिंग से जुड़ी गाड़ियों के चालान काटे थे। इससे विधायक नाराज हो गए थे। इसके बाद दोनों में टकराव बढ़ता गया। विधायक ने इल्मा को विधानसभा से विशेषाधिकार हनन का नोटिस तक दिलवा दिया था। इसके बाद बद्दी में एक फायरिंग कांड हुआ, जिसमे स्क्रैप कारोबारी राम किशन की बुलेट प्रूफ गाड़ी पर गोलियां चलाई गईं। वह पुलिस से ऑल इंडिया गन लाइसेंस की मांग कर रहा था, लेकिन SP इल्मा ने कारोबारी का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए मंजूरी नहीं दी। जांच में पता चला कि राम किशन ने खुद ही गोलियां चलवाईं थी। इल्मा ने उस पर कार्रवाई शुरू कर दी। कारोबारी नेताओं का करीबी था।
बता दें कि 6 नवंबर 2024 को इल्मा DC-SP मीटिंग के लिए शिमला आईं। यहां नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात के बाद शाम को वापस बद्दी लौट गईं। बद्दी से इल्मा अफरोज अपनी मां के साथ पूरा सामान समेटकर उत्तर प्रदेश स्थित अपने गांव लौट गई। इस दौरान उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा। इन सबके पीछे दून से कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी से इल्मा अफरोज का टकराव वजह माना गया। इल्मा पहले 40 दिन तक छुट्टी पर रही। फिर 16 दिसंबर को ड्यूटी पर लौटीं तो सरकार ने उन्हें पुलिस मुख्यालय में तैनाती दी।