शिमला-23 दिसंबर. सयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर शिमला में बर्फबारी के बीच हिमाचल किसान सभा ने जिला उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया और नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की प्रतियां जलाई ।प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के इलावा सेब उत्पादक संघ, दुग्ध उत्पादक संघ, सब्जी उत्पादक संघ, सीटू, महिला समिति, आदि विभिन्न संगठनों ने भाग लिया।
किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि जब से केन्द्र में मोदी के नेतृत्व में NDA की सरकार आई है तब से किसानों की खेती खत्म करने के लिए तरह तरह की किसान विरोधी नीतियों लाई जा रही है। 500 से ज्यादा किसान संगठनों के लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप 3 काले कृषि कानूनों को वापिस लेना पड़ा। अब “नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति” का मसौदा तैयार किया गया है। यह मसौदा किसान हित में नहीं है। इसलिए सयुक्त किसान मोर्चा आज इसका पूरे भारत में विरोध कर नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति की प्रतियों जलाया। इसके बाद उपायुक्त अनुपम कश्यप के माध्यम से भारत की राष्ट्रपति के लिए ज्ञापन दिया गया।
- उन्होंने कहा कि किसान सभा एनडीए 3 के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन न करने का कड़ा विरोध करते हैं और उन सभी किसान संगठनों और मंचों से, जो वास्तविक मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं के साथ वार्ता करने की मांग करते हैं। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से किसानों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए कहा है।
- उन्होंने राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति, डिजिटल कृषि मिशन और राष्ट्रीय सहयोग नीति को वापस लेने और संघर्ष कर रहे सभी किसान संगठनों के साथ तुरंत चर्चा करने और एमएसपी, ऋण माफी, बिजली के निजीकरण और एलएआरआर अधिनियम 2013 के कार्यान्वयन पर किसानों की लंबे समय से लंबित वास्तविक मांगों को स्वीकार करने का निर्देश दें।
- उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध नगर में, एफआईआर संख्या 0538 दिनांक 4 दिसंबर 2024 से पता चलता है कि पुलिस कमिश्नरेट ने 112 किसानों को एक पुलिस सब इंस्पेक्टर राजीव कुमार की हत्या के प्रयास और मेट्रो ट्रेन रोकने के लिए भारतीय नागरिक न्याय संहिता की धारा 109 के झूठे आरोपों में फंसाया है, जो निराधार हैं। किसान पिछले 21 दिनों से जेल में बन्द हैं।
नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति तीन कृषि कानूनों को पिछले दरवाजे से फिर से लागू करने की कॉर्पोरेट एजेंडे की रणनीति का हिस्सा है। पिछले तीन वर्षों में खाद्य सब्सिडी में 60,470 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी में 62,445 करोड़ रुपये की कटौती देश की सीमित एमएसपी और खाद्य सुरक्षा की मौजूदा व्यवस्था पर कॉर्पोरेट हमले हैं। कॉर्पोरेट ताकतें भारत के मेहनतकश लोगों को चुनौती दे रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार केवल कॉर्पोरेट हितों की सेवा कर रही है।
जयशिव ठाकुर
राज्य कमेटी सदस्य, किसान सभा