शिमला-15अप्रैल. हिमाचल प्रदेश 15 अप्रैल को अपना 78वां स्थापना दिवस मना रहा है। 15 अप्रैल 1948 को जब यह प्रांत अपने अस्तित्व में आया तो उस समय कनेक्टिविटी और आधारभूत ढांचा बहुत कमजोर था। ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे नहीं थे। दुर्गम क्षेत्र शेष देश और दुनिया की मुख्यधारा से कटे हुए थे, पर हिमाचल राष्ट्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ता रहा। आज यहां आम आदमी का जीवन स्तर भी अन्य राज्यों की तुलना में बेहतरीन है। रोटी, कपड़ा और मकान की मूलभूत चिंताओं से आगे निकल कर हिमाचल तरक्की के नए आयाम स्थापित कर रहा है। तमाम आर्थिक और अन्य चुनौतियों का सामना करते इस पहाड़ी प्रांत की प्रतिव्यक्ति आय 2,57,212 रुपये पहुंच गई है।इसके बावजूद हिमाचल प्रदेश पर करीब एक लाख करोड़ का कर्ज चुकाने, आर्थिक स्थिति को मजबूत करने, सड़कों के बजाय हवाई, रेल नेटवर्क को भी आगे बढ़ाने, सोने की तरह बहते जलभंडारों का उचित दोहन करने, प्राकृतिक आपदा से निपटने समेत पर्यावरण को संरक्षित रखने, नशाखोरी से निपटने जैसी कई चुनौतियां हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के इतिहासकार एवं अध्ययन अधिष्ठाता प्रो. बीके शिवराम बताते हैं कि हिमाचल के गठन से लेकर पूर्ण राज्य बनने के लिए संघर्षरत रहे डॉ. यशवंत सिंह परमार की पहाड़ी प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए विशेष योजना थी। उनके बाद रहे मुख्यमंत्री भी प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाते रहे हैं। सड़क, आधारभूत ढांचा विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश ने 1948 से लेकर आज तक काफी तरक्की की है। आज उच्च शिक्षा ले रहे विद्यार्थियों में 60 से 65% लड़कियां हैं तो यही ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के आधारभूत ढांचे के विकास का बड़ा सूचक है। कृषि-बागवानी के क्षेत्र में भी हिमाचल के किसानों-बागवानों ने अपने बूते पहचान बनाई है। बहुत से मामलों में हिमाचल प्रदेश देश के दूसरे राज्यों के लिए मॉडल स्टेट बनकर उभरा है। वर्तमान में केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकारों के कारण राजनीतिक चुनौती जरूर है, मगर यह अस्थायी ही है।
हिमाचल निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार के समय हिमाचल में सड़कों का जाल बिछने लगा। यहां कृषि-बागवानी, पर्यटन, ऊर्जा, उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी हिमाचल उन्नति करने लगा। डॉ. परमार के बाद रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेमकुमार धूमल और जयराम ठाकुर जैसे मुख्यमंत्रियों के हाथ में हिमाचल प्रदेश की कमान रही। तमाम चुनौतियों के बीच सबने अपना-अपना योगदान दिया। कई आपदाएं और आर्थिक संकट भी झेले। अब सुखविंद्र सिंह सुक्खू के हाथ में बागडोर है, जो सीमित साधनों और कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश को 2032 तक देश का सबसे अमीर राज्य बनाने का संकल्प ले चुके हैं।