शिमला -13 दिसंबर. शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार प्रदेश के मुद्दों पर बात नहीं करना चाहती है। इसलिए वह विपक्ष का सामना करने से डर रही है। अतः विधान सभा का सत्र बहुत छोटा रखा गया है। इस बार हिमाचल के इतिहास का सबसे छोटा विधान सभा सत्र रखा है। मात्र चार दिन में प्रदेश के इतने मुद्दों पर कैसे बात होगी? उनके मुद्दे कैसे हल होंगे। सुनने में आ रहा है कि सत्र के चार दिनों में से दो दिन मुख्यमंत्री स्वयं नहीं रहेंगे तो किस बात का सत्र आयोजित किया जा रहा है? क्या मुख्यमंत्री की व्यस्तताओं के हिसाब से सत्र नहीं रखा जाना चाहिए था? सदन में जनता के मुद्दों पर बात होती है। प्रदेश की समस्याओं के हल के निकाले जाते हैं, ऐसे में सिर्फ कोरम पूरा करने कि लिए विधान सभा का सत्र आयोजित करना निंदनीय है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार विधान सभा सत्र का समय बढ़ाए जिससे ज़्यादा समय मिल सके। प्रदेश में सरकार की नाकामियों की वजह से मुद्दों की भरमार है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार की अपरिपक्वता और प्रतिशोध की राजनीति की कीमत प्रदेश के लोगों को चुकानी पड़ रही है। जो ‘फुल फ्लेज्ड’ एसडीएम ऑफिस सुन्नी में भाजपा सरकार द्वारा खोलने की 03 जून 2022 को घोषणा की गई थी, कैबिनेट द्वारा सितंबर 2022 में भी स्वीकृत किया गया। उसके नोटिफिकेशन के बाद की भी सारी प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी। सभी प्रकार की परमिशन के लिए आवेदन कर दिया गया था। सारी प्रकिया पूरी होने के बाद भी सुक्खू सरकार एसडीएम ऑफिस को नोटिफाई करने के बजाय उसे ठंढे बस्ते में डाल दिया था। क्योंकि सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पर संस्थानों को बंद करने का भूत सवार था। वह बिना सोचे समझे सुक्खू सरकार द्वारा सुन्नी में एसडीएम ऑफिस खोलने की प्रक्रिया को भी बंद कर दिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री ने उसे क्यों रोका? इससे सुन्नी की जनता को बहुत परेशानी हुई। आख़िर मुख्यमंत्री ने सुन्नी के लोगों के दो साल तक परेशान कर लिया गया उससे बाद उन्हें अक्ल आई है कि सुन्नी में एसडीएम ऑफिस की आवश्यकता है। सरकार प्रतिशोध की राजनीति से बाहर आए और जनहित के मुद्दों को राजनीतिक संकीर्णता से ऊपर उठकर प्राथमिकता दे।