शिमला-06 अप्रैल. शिमला जन विकास मंच के संयोजक सुभाष वर्मा ने प्रदेश सरकार द्वारा न्यूनतम बस किराए में वृद्धि करके ₹10 किए जाने का विरोध किया है। उन्होंने बताया की शिमला प्रदेश की राजधानी है और यहां पर पानी की दरों में अभी वृद्धि की गई है। जबकि प्रॉपर्टी टैक्स, गार्बेज कलेक्शन बिलों में भी वृद्धि की गई है। यहां तक की बिजली में अनावश्यक बिलों का बोझ थमा दिया है। शुक्र है खुदा का कि शौच टैक्स लगते लगते थम गया और भविष्य में कभी भी लगना संभावित हो सकता है। सरकार शिमला शहर में शत प्रतिशत पैडेस्टल पाथ की सुविधा प्रदान करें अन्यथा बसों के किराए में न्यूनतम किराया ₹5 ही हो। यह उचित नहीं की आधे किलोमीटर को भी ₹10 भाड़ा चुकाया जाए यानि कि प्रत्येक महीने ₹600 बस किराए की न्यूनतम बढ़ोतरी सहन करनी होगी। जो रोजाना बस में मात्र आधा किलोमीटर का सफर तय करने पर भरना पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि अनावश्यक सरकारी गाड़ियों के काफिले में कमी लाएं ना कि गरीबों पर ही बोझ डाला जाए। शहर में कोई भी सार्वजनिक सुविधा प्रदान करने में सरकार अपने हाथ पीछे खींचती रही है चाहे बात पार्किंग की हो, एल्डरली क्लब की हो, गरीबों के आशियाना के निर्माण की हो, बेरोजगारों को रोजगार दिए जाने की हो या फिर कर्मचारियों को पेंशन की देनदारी के भुगतान की बात हो, सरकार चिट्टा जैसे भयानक नशे के फैलने को रोकने यानी कि युवाओं को मौत के घाट से बचने का कार्य करे, ना कि लोगों पर अनावश्यक महंगाई थोप कर प्रताड़ित करे।