शिमला-21सितंबर. शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर यानी सोमवार से शुरू होने वाले हैं. इस दिन नवरात्रि का पहला दिन है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन शुक्ल प्रतिपदा के दिन शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होती है. उस दिन कलश स्थापना करके मां दुर्गा की पूजा करते हैं. नवरात्रि के 9 दिनों तक कलश पूजा स्थान पर ही रहता है. दुर्गा विसर्जन के दिन कलश को हटाया जाता है. नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा करते हैं.
नवरात्र की शुरुआत घटस्थापना से होती है. पंचांग के अनुसार, इस साल 22 सितंबर यानी कल सुबह 6 बजकर 09 मिनट से 08 बजकर 06 मिनट तक कलश स्थापना का शुभ समय रहेगा. इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त भी घटस्थापना के लिए श्रेष्ठ माना गया है, जो कि सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस साल नवरात्र में कलश स्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त मिलने वाले हैं.
इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें. सात ही मंदिर की साफ-सफाई करें. कलश स्थापना के लिए घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है. कलश में साफ जल भरकर उसमें सिक्का, फूल और अक्षत डालें. इसके बाद कलश पर स्वास्तिक बनाएं और कलावा लपेटें. लाल चुनरी में नारियल को लपेट कर कलश के ऊपर रख दें. देसी घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा की पूजा करें. व्रत कथा का पाठ करें. फल और मिठाई का भोग लगाएं.शास्त्रों में नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना का विधान है. द्रिक पंचांग के अनुसार, 22 सितंबर को कलश स्थापना की जाएगी. साथ ही 30 सितंबर को महाअष्टमी, 1 अक्टूबर को महानवमी और 2 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा.
साल 2025 की शारदीय नवरात्र सोमवार से प्रारंभ हो रही है. इसलिए, इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पधारेंगी. शास्त्रों में वर्णित है कि जब देवी हाथी पर सवार होती हैं, तो यह शुभ संकेत माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र का आरंभ जिस वार से होता है, उसी आधार पर मां दुर्गा का वाहन तय होता है.



