मंडी-28 अगस्त.हिमाचल में त्रासदी काल में लोगों के पास न धन बचेगा और न ही अन्न बचेगा। मंडी में प्रलय आने का सिलसिला भी नहीं थमेगा और न ही लोगों को दरकते पहाड़ों से कोई राहत मिलेगी। नदी-नाले अभी उफ़ान पर ही रहेंगे और ब्यास कहर बरपाती ही रहेगी। मंडी में यह किसी डरावनी कल्पना की पटकथा का हिस्सा नहीं है, बल्कि देव समाज से की गई भविष्यवाणी है और यह वाणी देवताओं के गुरों ने आग के दहकते अंगारों पर अग्नि परीक्षा देते हुए की है। मंडी के स्कूल बाजार में माता काली के दरबार में रात के 12 बजे सैकडों लोगों के समक्ष प्रत्यक्ष रूप से गुरों ने कहा है कि देवी-देवता मानव समाज से रूष्ठ हैं और यह त्रासदी काल उसी का परिणाम है।
गुरों ने साफ शब्दों में कहा है कि मानव ने मंदिरों को दूषित कर दिया। देवी-देवताओं के जंगल काट दिए। गुरों के माध्यम से देवताओं ने कहा है कि मनुष्य इस प्रलय को अब रोक कर बताए। वहीं मंडी को आपदाओं से छुटकारा मिल पाएगा या नहीं, इसका निर्धारण सत देव श्रीबालाकामेश्वर के दरबार में होगा। देव माहूनाग टारना के गुर रमेश कुमार ने बताया कि माता चामुंडा के दरबार में हुए होम के दौरान देवी देवताओं ने कहा है कि अभी आपदाओं से छुटकारा नहीं मिलेगा। देव पराशर मंदिर कमेटी के प्रधान बीरबल शर्मा ने बताया कि कुछ लोगों की आस्था मंदिरों में सैर स्पाटे तक सिमट गई है। इस व्यवहार से देव भी नाराज हैं। इसके चलते पराशर के आसपास पहाडिय़ां दरक रही हैं। लोग आस्था के वशीभूत होकर मंदिर आएं।