शिमला-02 अप्रैल. चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि 2 अप्रैल यानी बुधवार को है। चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा का विधान है। मान्यता है कि यह मां अपने भक्तों पर स्नेह लुटाती हैं। मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियों दूर होती हैं और कार्यों की विघ्न-बाधा भी खत्म होती है। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि की पंचमी तिथि पर की जाती है। स्कंदमाता की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने व व्रत करने से जातक की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वूप को स्कंदमाता का नाम मिला। जानें मां स्कंदमाता की पूजा विधि, भोग, मंत्र व आरती। आपको बता दें कि इस साल चैत्र नवरात्रि पर तृतीया तिथि का क्षय होने से नवरात्रि 8 दिन के हैं।
मां स्कंदमाता के स्वरूप की बात करें तो मां की गोद में स्कंद देव विराजमान हैं। मां कमल के आसन पर विराजमान हैं, जिसके कारण मां स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां का वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां भगवती के पंचम स्वरूप की उपासना करने से संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां स्कंदमाता को गंगाजल से स्नान कराएं। चुनरी व वस्त्र आदि अर्पित करें। रोली, कुमकुम आदि लगाएं। इसके बाद मां को मिठाई व फलों का भोग लगाएं। मां की आरती करें। मान्यता है कि मां स्कंदमाता को केले का भोग अतिप्रिय है। आप माता रानी को खीर का भोग भी लगा सकते हैं।नवरात्रि के पांचवें दिन का शुभ रंग पीला व सफेद है। मां की पूजा के समय श्वेत रंग या पीले रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः